an attempt to poetry


ख्वाबोँमें परछाइयाँ इधर भी है उधर भी । 


बेतुकी कहानियाँ इधर भी है उधर भी॥
बस फासलेँ है ये और कुछ नहीं ।
मख़मली तनहाइयाँ इधर भी है उधर भी॥
कौन कहता है, जल्दबाज़ी की हमने?
सोच की गहराईयाँ इधर भी है उधर भी ॥
कुछ राज़ तो है जो कह नहीं सकते । 


कुछ बेताबीयाँ इधर भी हैं उधर भी ॥

ख्वाबोँमें परछाइयाँ इधर भी है उधर भी ।
चुपचाप किलकारीयाँ इधर भी है उधर भी ।

कैसे जान पाए क्या छूपा कमबख्त दिलमें?
बातोँमेँ नरमाइयाँ इधर भी है उधर भी । 


खामोश मनमें बैठे बैठे
कभी गूँजती शहनाईयाँ इधर भी है उधर भी ॥



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Comments

  1. This, and next 2 posts are actually taken from my fb notes,where I'd posted them some time back, as I didn't have much to post so i brought them here.

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